Ek kavita 🤔

एक कविता अपने जान से प्यारे पापा के लिए ❤️ तुम और मैं पति पत्नी थे तुम मां बन गई मै पिता रह गया तुमने घर संभाला मैने कमाई तुम मां के हाथ का खाना बन गई लेकिन मै कमाने वाला पिता रह गया जब जब बच्चों को चोट लगी तुमने उन्हें गले लगाया पर मैने कठोरता से डांटकर समझाया नतीजा तुम ममता की देवी बन गई मै कठोर पिता रह गया बच्चो ने जब जब गलतियां की तुमने उनका पक्ष लेकर उनकी प्यारी मम्मी बन गई और मैं "पापा कभी नहीं समझते वाला पिता रह गया" "पापा नाराज होंगे "कहकर तुम बच्चो की बेस्ट फ्रेंड बन गई और मैं बेवजह बच्चो पर गुस्सा करने वाला निष्ठुर पिता रह गया तुम घर में रही तुम्हारे आंसू बच्चो को दिख गए उन्हें लगा उन्हें सबसे ज्यादा प्यार मां ही करती हैं पर मेरे छुपे हुए आंसू बच्चे कभी देख ही नहीं पाए नतीजा मै निष्ठुर पिता बन कर रह गया ऐसा क्यों? प्यार तो मैने भी तुम्हारे जितना बच्चो से किया पर तुम बच्चो की फेवरेट बनी रही मै बच्चो का दोस्त तक ना बन सका अगर लाइन अच्छी लगे तो एक बार पापा को स्माइल पास करके गले लगा कर thank-you जरूर बोलना Writer ✍️ ✍️ : AAKASH GOSWAMI